Web 3.0 क्या है; ये कैसे अभी के इंटरनेट से अलग है

आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको वेब 3.0 के विषय में जानकारी दें जा रहे है जो आने वाले भविष्य में हमारे जीवन का हिस्सा या फिर हमारा पूरा का पूरा जीवन बनने वाला है। इस लेख द्वारा आपको Web 3.0 के बारे में बताने का हमारा उद्देश्य है की आपको भविष्य में आने वाली तकनीक की जानकारी पहले से हो। साथ ही Web 3.0 के द्वारा आने वाले समय में इंटरनेट गतिविधियों को भी आप खुद से कंट्रोल कर सकते हो। अतः जरूरी है की Web 3.0 क्या है और इसके फायदे क्या है आपको जरूर पता होना चाहिए।

web 3.0

इंटरनेट आज पूरी मानवजाति का एक अभिन्न अंग बन गया है और बिना इंटरनेट के आज मानो जीवन ही संभव नही है। आज के दौर में लगभग 80 प्रतिशत कार्य इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन किया जाता है। इसके अलावा पहले की तरह लोग सिर्फ नौकरी करके ही पैसा नही कमा रहे है बल्कि अब तो घर बैठे ऑनलाइन पैसा कमाया जा रहा है। हर क्षेत्र में इंटरनेट की पहुंच हो चुकी हैं। पूरी दुनिया में Internet Web या यानी जाल बिछा हुआ है।

अभी जिस Web शब्द का हमने जिक्र किया उसी के बारे में आपको विस्तार से बताया जाएगा। कई सारे लोगों के मन में आ रहा होगा की इस आर्टिकल में Web 3.0 के बारे जानकारी दी जायेगी तो क्या Web 1.0 और Web 2.0 भी थे? तो हम आपको बताना चाहेंगे की जी हां Web 1.0 और Web 2.0 भी थे। आगे इस लेख में आपको इन दोनो के बारे में भी जानकारी दी जायेगी। आइए फिर जानते है की Web 3.0 Kya Hai और यह भविष्य में क्या बदलाव ला सकता है।

Web 1.0 क्या है?

वर्तमान समय में इंटरनेट और इसके इस्तेमाल करने के तरीके मे काफी ज्यादा बदलाव आ चुके है। जबकि पहले ऐसा नही था। आज से लगभग 30 साल पहले 1991 से लेकर 2004 तक इंटरनेट की पहली जेनरेशन यानी की Web 1.0 का दौर था जब इंटरनेट का विस्तार धीरे धीरे हो रहा था। आज के इंटरनेट और तब के इंटरनेट में काफी अंतर है। उस समय इंटरनेट केवल Read Only वाले Concept पर आधारित था। 

कहने का मतलब है की उस समय इंटरनेट पर केवल जानकारी लिखित रूप में या फिर फोटो के रूप में उपलब्ध हुआ करती थी और एक यूजर सिर्फ उसे पढ़ सकता था न की उसे किसी के साथ शेयर कर सकता था, न ही कोई जानकारी इंटरनेट पर पब्लिश कर सकता था और न ही उनमें बदलाव कर सकता था। अतः यह सारा दौर Web 1.0 था जब इंटरनेट आम लोगों के बीच आया था।

Web 2.0 क्या है?

इसके बाद 2004 के बाद एक बहुत बड़ा बदलाव आया जब Web 2.0 अस्तित्व में पहली बार आया। वेब 1.0 के समय यूजर जहां कंटेंट को सिर्फ देख या पढ़ सकते थे अब उसके स्थान पर यूजर कंटेंट को देख सकते है, पढ़ सकते है, उसे शेयर कर सकते है और खुद ऑनलाइन कंटेंट बनाकर उसे यूट्यूब चैनल, ब्लॉग और वेबसाइट के माध्यम से अन्य लोगों तक पहुंचा सकते है। आज लगभग इंटरनेट पर उपलब्ध 80 प्रतिशत जानकारी आम लोगों द्वारा पब्लिश की गई है।

Web 2.0 के आने से ऑनलाइन शॉपिंग, MP4, MP3, चैटिंग, वीडियो कॉलिंग जैसी चीजे पॉपुलर होने से लगी थी और साथ ही ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी पर कोई भी यूजर कॉमेंट कर सकता था। इन सबके साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी सामने आए जिससे यूजर अपने फोटो, वीडियो और संदेश लोगों के साथ शेयर कर सकते थे और जिसकी वजह से इंटरनेट यूजर की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है।

आज एक इंटरनेट यूजर वेब 2.0 की मदद से इंटरनेट पर कई सारी एक्टिविट कर सकता है। सभी सोशल मीडिया पर अकाउंट बना सकते है और ऑनलाइन एक्टिविटी में हिस्सा ले सकते हैं। इसके साथ आज लोग ऑनलाइन पैसे कमा पा रहे है। ब्लॉगिंग, यूट्यूब, सोशल मीडिया मार्केटिंग ऐसे कई तरीके है जिससे आज एक इंटरनेट यूजर घर बैठे पैसे कमा सकता है। 

यहां ताकि आप जो भी विज्ञापन देखते हो किसी यूट्यूब चैनल, वेबसाइट, ब्लॉग या सोशल मीडिया पर वो सभी के सभी इसी का हिस्सा है। बड़ी बड़ी कंपनिया हमारे व्यक्तिगत जानकारी के हिसाब से हमारे लिए ऑनलाइन विज्ञापन बनाती है और हमें अपने प्रोजेक्ट तथा सर्विस बेचती है। यह सारी चीजे आज Web 2.0 की देन है। 

पर यहां पर देखने वाली चीज यह है की जीतने ज्यादा Web 2.0 के फायदे है उसके विरुद्ध कुछ नुकसान भी है और यह नुकसान है की यूजर्स की प्राइवेसी पर हमेशा खतरा बन रहता हैं। आए दिन कई सारे साइबर क्राइम से जुड़ी चीजे सुनने को मिलती है। वेब 2.0 के दौरान यूजर्स का डाटा चोरी होने लगा है और साथ ही इंटरनेट यूजर के द्वारा बनाया बनाए कंटेंट पर यूजर की ही Ownership नही है। 

इसके साथ ऑनलाइन जो भी कमाई एक यूजर करता है उसमे एक यूजर को सिर्फ आधा हिस्सा ही मिलता है जबकि कंटेंट देने वाला यूजर ही होता है। अतः इन सब चीजों से यही देखने को मिलता है की Web 2.0 के दौरान यूजर की अर्निंग, कंटेंट की Ownership और प्राइवेसी पर कंट्रोल खुद यूजर के पास नही है। इसलिए इन्हीं समस्याओं का समाधान Web 3.0 में ढूंढा जायेगा।

Web 3.0 क्या है?

अब बात करते है Web 3.0 के बारे में। ऊपर दी गई जानकारियों से आप समझ ही गए होंगे की वेब 1.0 और वेब 2.0 के समय में ऐसी काफी समस्याएं रह गई थी जिनका अब Web 3.0 के द्वारा समाधान निकाला जाएगा। वेब 2.0 का दौर अब लगभग समाप्त हो चुका है और पूरी दुनिया में Web 3.0 अपनी जगह बनाने जा रहा है।

Web 3.0 Blockchain आधारित तकनीक होने वाली है यानी की अब एक इंटरनेट यूजर जो की कंटेंट उपलब्ध करवाता है और इंटरनेट का इस्तेमाल करता है, उसके पास उसकी प्राइवेसी का कंट्रोल, कंटेंट की ओनरशिप और ऑनलाइन अर्निंग का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा रहेगा। इसके साथ किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पब्लिश होने वाले कंटेंट को कोई भी प्लेटफॉर्म अपनी मर्जी से डिलीट नही कर सकता है।

कौन सा कंटेंट सोशल मीडिया और ऑडियंस के लिए सही और कौन सा गलत है यह सब एक ब्लोकचैन आधारित Code के द्वारा तय किया जाएगा। आपके कंटेंट को कौन देखेगा, उसमे कौन से विज्ञापन दिखाए जायेंगे, इन सभी चीजों को कंट्रोल एक यूजर कर पाएगा। साथ ही आपकी व्यक्तिगत जानकारी का कोई भी कंपनी अपने प्रोडक्ट और सर्विस को बेचने के लिए प्रयोग नही कर पायेगी।

आखिर में सामान्य शब्दों में समझा जाए तो एक Web3.0 एक Decentralized Web होगा। Decentralized वेब का अर्थ होता है इंटरनेट पर उपलब्ध चीजों की ओवनरशिप किसी एक कंपनी या संस्था के पास नही होगी। जो कंटेंट देगा वही मालिक होगा। उसके हिस्से में ज्यादा से ज्यादा कंट्रोल होगा। अतः कुछ इस प्रकार से हमारे नजदीकी भविष्य में चीजे बदलने वाली है।

Web 3.0 के फायदे क्या है?

वेब 3.0 के बारे में तो आपने अच्छे से जान लिया लेकिन अब इसके कुछ फायदों के बारे में भी जान लेते है की यह कितनी लाभकारी हो सकती है एक इंटरनेट यूजर और कंटेंट क्रिएटर के लिए।

  • वेब 3.0 के दौरान एक इंटरनेट यूजर और कंटेंट क्रिएटर के पास ही कंटेंट की पूरी ओनरशिप होगी।
  • जो भी ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइड करवाएगा उसके पास उसके द्वारा प्राप्त की गई ऑनलाइन अर्निंग का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा रहेगा।
  • किसी भी कंपनी या संस्था के पास किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा प्रोवाइड किए गए ऑनलाइन कंटेंट की ओनरशिप नही रहेगी।
  • कोई भी कंपनी अपने प्रोडक्ट और सर्विस को बेचने के लिए किसी भी यूजर की व्यक्तिगत जानकारी का बिना अनुमति के इस्तेमाल नही कर सकेगा।
  • वेब 3.0 के आने से यूजर की प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखा जायेगा। 
  • यूजर खुद यह तय कर सकेगा की उसका कंटेंट कौन देखेगा और कौन नही।
  • इंटरनेट पर उपलब्ध कौन सी जानकारियां सही या कौन सी गलत है इसको एक Code के द्वारा निश्चित किया जायेगा।

इन सबके साथ अन्य कई सारे फायदे Web 3.0 के है जिसके बारे में आपको खुद ब खुद निकट भविष्य में पता चल जायेगा।

Web 3.0 में नुकसान क्या है?

जिस प्रकार से वेब 3.0 के कुछ फायदे है उसी तरह इसके कुछ नुकसान है जिसको आपके सामने उजागर करना हमारा उद्देश्य है। वेब 3.0 के कुछ नुकसान के बारे में हमने निम्नलिखित व्याख्या की है।

  • सबसे पहला और सबसे बड़ा नुकसान यह है की वेब 3.0 से प्राइवेसी बढ़ जायेगी लेकिन हैकर और साइबर क्रिमिनल की तरफ से साइबर क्राइम बढ़ने लगेगा। पहले ही उनको पकड़ना आसन नहीं है और सब सारी चीजे प्राइवेट होने लगेगी तो उनको पकड़ना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
  • दूसरा नुकसान है की इस टेक्नोलॉजी को समझना थोड़ा मुश्किल है। ऐसे बहुत से लोग है जो स्पष्ट रूप से समझ नही पाए है की वेब 3.0 क्या है और यह कैसे काम करेगा।
  • तीसरा नुकसान है की इस टेक्नोलॉजी को तैयार होने में अभी वक्त लगेगा और इसको लोगो तक पहुंचने में भी वक्त लगेगा।
  • चौथा नुकसान है की लोग सामान्य जीवन में अपना समय बिताने के मुकाबले अपना अधिक से अधिक समय इंटरनेट पर बिताएंगे। अर्थात भविष्य और डिजिटल होने वाला है।

निष्कर्ष 

भविष्य में आने वाले बदलावों के लिए यदि आप उत्सुक हो तो आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा क्योंकि Web 3.0 क्या है के विषय में जानकारी देते हुए हमने आपको समझाने का प्रयास किया की पहले के मुकाबले इंटरनेट कितने तेजी से आगे बढ़ रहा है और आगे इसका भविष्य क्या होगा। साथ ही वेब 1.0 और वेब 2.0 के बारे में आपको हमने जानकारी दी है।

आखिर में हमने वेब 3.0 के कुछ बेहतरीन फायदे और कुछ भारी नुकसान के बारे में बताया है। हम उम्मीद करते हैं की आपको आज का लेख यह जरूर अच्छा लगा होगा और यदि वाकई में यह लेख पसंद आए तो इसे शेयर जरूर करिएगा। इसके साथ इस लेख से जुड़े आपके कोई सवाल हो तो आप हमसे संपर्क जरूर करें।

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